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बस्तर के विकास के लिए धन की कमी नहीं होगी, कोंडागांव जिला को 278 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की सौगात: मुख्यमंत्री

कोंडागांव। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कोण्डागांव जिले के ग्राम कोंगेरा में आयोजित भूमिपूजन तथा लोर्कापण कार्यक्रम में 278 करोड़ रूपये की लागत के विकास कार्याें की सौगात दी। मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि बस्तर के विकास के लिए धन की कमी नहीं होगी। बस्तर में वनवासियों सहित आम आदमी के सर्वांगीण विकास के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क व रोजगार और सिंचाई सुविधा पर सरकार विशेष फोकस कर रही है। बस्तर में बंद स्कूलो को प्रारंभ कराने और लोगों के आर्थिक स्तर को निरतंर ऊंचा उठाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव पहल की जा रही है। लॉकडाउन के दौरान लघुवनोपजों की खरीदी की समुचित व्यवस्था की गई और इसे निरंतर बढ़ाते हुए वर्तमान में वनवासियों के हित में 52 लघु वनोपजों की खरीदी की व्यवस्था की गई है। 

मुख्यमंत्री बघेल ने इस अवसर पर कोण्डागांव जिले के अंतर्गत विश्रामपुरी में महाविद्यालय की स्थापना, धनोरा और मर्दापाल को तहसील तथा बांसकोट, बड़ेडोंगर और बीजापुर में उपतहसील खोलने की घोषणा की। उन्होंने इसी तरह ग्राम पंचायत विश्रामपुरी में कॉमप्लेक्स निर्माण, गम्हरी से नयापारा तक सड़क निर्माण, विश्रामपुरी में मिनी स्टेडियम, कोण्डागांव जिले में लघुवनोपज हेतु कोल्ड स्टोरेज निर्माण तथा कोण्डागांव जिला में बंदोबस्त भूमि सुधार की शुरूआत करने की भी घोषणा की। इस अवसर पर प्रदेश के आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, उपाध्यक्ष संतराम नेताम, विधायक मोहन मरकाम, चंदन कश्यप, रेखचन्द जैन, राजमन वेंजाम, राज्य सभा सांसद फूलो देवी नेताम और मुख्यमंत्री जी के सलाहकार राजेश तिवारी एवं स्थानीय जनप्रतिनिधी विशेष रूप से उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में समुदायिक एवं व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा के वितरण की शुरूआत बस्तर के कोण्डागांव जिले से हई है। सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्रो में फलदार एवं औषधीय पौधे लगाये जायेंगे। इससे वनवासियों को सभी तरह के वनोपज मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रो में कोई भी आदिवासी भूमिहीन नहीं रहेगा। हर व्यक्ति को राजस्व विभाग द्वारा जमीन उपलब्ध कराए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार छत्तीसगढ़ की विलुप्त संस्कृति को पुर्नजीवित कर रही है। बस्तर की पहचान दशहरा महोत्सव, दंतेश्वरी मेटल कार्य, मुर्गा लड़ाई और घोटुल के नाम पर रही है। सरकार यहां की पुरातन संस्कृति को संवारने जन समुदाय के सहयोग से संकल्पित है। उन्होंने कोण्डागांव के प्रत्येक देवगुड़ी के लिए 5 लाख रूपये प्रदान करने की घोषणा करते हुए परांपरागत घोटुल व्यवस्था को विकसित करने की बात कही। 

मुख्यमंत्री बघेल ने गोधन न्याय योजना अंतर्गत सरकार द्वारा गोबर खरीदी से लोगों की माली हालत में हुई सुधार और नरवा योजना अंतर्गत जन संरक्षण एवं सवंर्धन का जीर्क करते हुए का कि बस्तर के विकास के लिए सिंचाई संसाधनो को विकसित करना जरूरी है। उन्होने कहा कि बोधघाट परियोजना के पूर्ण होने से यहां कि सिंचाई रकबा बढ़ोत्तरी होगी। लिफ्ट ऐरिगेशन के माध्यम से बोधघाट का पानी नारायणपुर और कोण्डागांव जिला तक पंहुचेगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बस्तर में जल जंगल और जमीन का जीर्क करते हुए यहां के खनिजो की समुचित दोहन की उद्योग स्थापना पर जोर देते हुए कहा कि बस्तर में शासकीय जमीन में उद्योग लगाई जायेगी। उन्होने लोगो को भरोसा दिलाया कि उद्योग स्थापना के लिए आदिवसियों की जमीने नही ली जावेगीं। नये स्थापित उद्योगो में रोजगार हेतु यहां के निवासियों को प्राथमिकता दी जावेगी।

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