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बस्तर संभाग के सातों जिलों में होगा देवगुड़ियों का कायाकल्प, गारमेंट हब के रूप में विकसित होगा दंतेवाड़ा: मुख्यमंत्री

दंतेवाड़ा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नवा छत्तीसगढ़ और नवा-दंतेवाड़ा गढ़ने में दंतेवाड़ा जिले की माताएं और बहनें आगे बढ़कर काम कर रही हैं। अब जिले को मां दन्तेश्वरी के नाम से ही नहीं यहां की माताओं और बहनों के नाम से भी जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाया है। जिले को नयी पहचान दिलाने के लिए डैनेक्स नाम से गारमेंट तैयार कर रही है। दंतेवाड़ा को गारमेंट हब के रूप में विकसित करने 4 नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्ट्री तैयार की जा रही है। डैनेक्स (दंतेवाड़ा नेक्स्ट) में तैयार गारमेंट की सप्लाई पूरे देश में होगी। बघेल आज जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में आम सभा को संबोधित कर रहे थे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास जितना जरूरी है, अपनी संस्कृति को बचाए रखना भी उतना ही जरूरी है। देवगुड़ियों के कायाकल्प की शुरुआत गमावाड़ा से हुई है, बस्तर संभाग के सातों जिलों में देवगुड़ियों का कायाकल्प किया जाएगा। उन्होंने कहा कि माताओं, बहनों और बच्चों को कुपोषण और एनीमिया से मुक्ति दिलाने के लिए सुपोषण अभियान की शुरूआत दंतेवाड़ा जिले से की गई थी। केवल 10 माह में कुपोषण की दर घटाने में उल्लेखनीय सफलता मिली है। सुपोषण अभियान से छत्तीसगढ़ में एक वर्ष में 99 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं तथा 20 हजार महिलाएं एनीमिया से मुक्त हुई हैं। 

तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपया मानक बोरा हुवा: मुख्यमंत्री ने कहा कि 40 सालों से लंबित बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना को फिर से शुरु करने की पहल सरकार ने की है। इस योजना के पूरी होने से न सिर्फ दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के किसानों का जीवन पूरी तरह बदल जाएगा, बल्कि इसका लाभ नारायणपुर और कोण्डागांव जिले तक मिलेगा। वनांचल क्षेत्र के किसानों और वनवासियों की आय बढ़ाने शासन द्वारा किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 रुपया मानक बोरा किया गया। वनांचल क्षेत्रों में 52 तरह के लघु वनोपज समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे हैं। कोरोना-काल में वनवासियों की आय प्रभावित न हो, इसलिए लॉकडाउन के दिनों में भी छत्तीसगढ़ में वनोपज इकट्ठा करने का काम बंद नहीं होने दिया गया। जिसके फलस्वरूप लॉकडाउन के समय छत्तीसगढ़ में देश का सबसे ज्यादा लघु-वनोपज संग्रह किया गया।

वनभूमि के पट्टे देने में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल: मुख्यमंत्री ने कहा कि वन-भूमि पर वर्षों से काबिज किसान जमीनों के पट्टे बांटने का काम तत्परता से किया है। व्यक्तिगत पट्टों के साथ-साथ, सामुदायिक पट्टे और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार भी दिया है। वनभूमि के पट्टे देने के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी व्यक्ति को भूमिहीन नहीं रहने दिया जाएगा, जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, उन्हें भी जमीन दी जाएगी। साथ ही सरकार द्वारा जल्द ही कोदो-कुटकी का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। कोदो-कुटकी प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जाएंगे। 

गांव-गांव में हो रहा गोठानों का निर्माण: मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में गोठानों का निर्माण किया जा रहा, ताकि पशुओं की देखभाल अच्छी तरह हो, फसलों को चराई से होने वाला नुकसान रुके और दूध का उत्पादन भी बढ़े। इन गोठानों का विकास आजीविका केंद्रों के रूप में भी किया जा रहा है, जहां स्व सहायता समूह की हजारों माताएं-बहनें तरह-तरह की गतिविधियों से आय प्राप्त कर रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार दुनिया की पहली सरकार है, जो दो रुपए किलो में गोबर खरीद रही है। जिन लोगों के पास न पशुधन है, न जमीन, वे भी आज गोबर इकट्ठा कर आय प्राप्त कर रहे हैं। पहले लोग धान बेचकर मोटरसाइकिल खरीदते थे, अब तो गोबर बेचकर ही मोटरसाइकिल और जेवर खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम में पढ़ सकें इसके लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना शुरु की गई है। इस योजना के तहत अभी 52 स्कूल संचालित हो रहे हैं। अगले साल से 100 और स्कूल शुरु किया जाएगा।
     

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