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पति की सेवा करना पत्नी का कर्तव्य, फिर पति का कर्तव्य क्या है…जगद्गुरू ने क्या बताया; यहां पढ़िए…

व्यासनगर। गौ दान और कन्यादान का बहुत बड़ा महत्व होता है। गौ दान उसे ही करें, जो गौ माता की सेवा करे। गौ माता वैतरणी पार लगाती है। योग्य ब्राह्मण को गौ दान करेंगे तो गाय प्रसन्न होगी। उसके रोएं-रोएं से आशीर्वाद मिलेगा।

इसी तरह योग्य वर को ही कन्यादान करें। जब विवाह के दौरान कन्या की पूजा करते हैं, तब लक्ष्मी के रूप में करते हैं। हमारे यहां मान्यता है कि कन्या लक्ष्मी और वर को नारायण के रूप में देखा जाता है। कन्या अपने ससुराल में प्रसन्न रहेगी तो आशीर्वाद देगी।

व्यासनगर में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन जगद्गुरु स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने महारानी देहुति और महाराज कर्दम के प्रसंग से पति-पति के बीच रिश्ते की प्रगाढ़ता बताई। वेदांत देशिक आश्रम प्रयागराज से आए अच्युत स्वामी ने कहा कि पति की सेवा पत्नी का धर्म है, लेकिन ऐसा नहीं है कि पत्नी की सेवा करना पति का धर्म नहीं है।

पति को भी पत्नी की सेवा करनी चाहिए। राम चरित मानस में ऐसा प्रसंग आया है कि भगवान राम ने माता सीता की सेवा करने के उद्देश्य से उनके लिए फूल लेकर आए। भगवान शंकर भी पत्नी की सेवा करते थे।

अच्युत स्वामी ने कहा कि ससुर की यह मर्यादा है कि वह बहुओं के सामने पत्नी को नहीं डांटना चाहिए। इसी तरह विवाह के दौरान यदि ससुर ने पूजा की है तो इसका मतलब यह नहीं है कि बाद में भी वे पूजा करें। विवाह के बाद ससुर पितातुल्य हैं। उनका सम्मान करना चाहिए।

संसार में पहले सिर्फ नारायण, उन्होंने ही सृष्टि की रचना की
जगद्गुरु स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य ने कहा कि लोगों के बीच यह चर्चा रहती है कि मुर्गी पहले आई कि अंडा। आम पहले या गुठली। शास्त्रों में लिखा है कि सबसे पहले नारायण थे। उन्होंने ही सृष्टि का सृजन किया। इस तरह सृष्टि में जितने प्रकार के जीव-जंतु, वनस्पति हैं, सबकी रचना भगवान ने की है।

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