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बड़ी खबर: भारत ने 73 साल में पहली बार जीता थॉमस कप का खिताब, 14 बार के चैम्पियन इस देश की टीम को हराकर

नई दिल्ली। भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने रविवार को इतिहास रच दिया। भारतीय पुरुषों ने बैंकाक में जारी थॉमस कप के फाइनल में 14 बार के चैम्पियन इंडोनेशिया को एकतरफा अंदाज में 3-0 से हराकर पहली बार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का विजेता होने का गौरव हासिल किया है।

1979 के बाद एक बार भी अंतिम-4 दौर में नहीं पहुंच वाली भारतीय टीम अपना पहला खेल रही थी और उसके लिए एक ऐसी टीम के खिलाफ जीत दर्ज करना आसान नहीं था, जो 21वीं बार फाइनल खेल रही थी लेकिन इसे संभव करने के लिए भारतीय खिलाड़ियों ने अपना श्रेष्ठतम प्रदर्शन किया औऱ एक के बाद एक तीन मुकाबले जीतकर इतिहास रच दिया।

इस जीत पर भारतीय बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष डॉ. हिमंता विस्वा सरमा ने कहा, ‘यह भारतीय बैडमिंटन के लिए बहुत गर्व का क्षण है। हमने कई व्यक्तिगत जीत हासिल की हैं लेकिन थॉमस कप का ताज जीतना बहुत खास है।

यह पुरुषों के बीच हमारी प्रतिभा की गहराई को दर्शाता है और इस सप्ताह के माध्यम से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और खिताब जीतने के रास्ते में कुछ सबसे बड़े बैडमिंटन पावरहाउस को हराने के लिए खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ को पूरा श्रेय देता है।’

विश्व के 23वें नंबर के खिलाड़ी एचएस प्रणाय ने दोनों निर्णायक मुकाबले जीतकर सीधे टीम में शामिल करने के चयनकर्ताओं के फैसले को सही ठहराया और अंत तक अपराजित रहे। खासकर डेनमार्क के रैसमस गेम्के के खिलाफ दूसरे मैच में उनके टखने में चोट लगने के बावजूद शानदार जीत हासिल की।

प्रणाय को फाइनल में फिर से पांचवां रबर खेलने के लिए फिट घोषित किया गया था, लेकिन लक्ष्य सेन, सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी और किदांबी श्रीकांत ने सुनिश्चित किया कि वह बिना खेले ही भारत की इस ऐतिहासिक जीत का आनंद ले सकें।

भारत की इस जीत पर बीएआई महासचिव संजय मिश्रा ने कहा, ‘भारत की खिताबी जीत के बाद मेरी भावना का वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं। चयनकर्ताओं ने वरिष्ठ खिलाड़ियों और उनके फॉर्म में विश्वास दिखाया जबकि युवाओं ने दिखाया कि वे कदम उठा सकते हैं और जिम्मेदारी ले सकते हैं। मुझे विश्वास है कि यह खिताबी जीत केवल युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करेगी और वे देश में पुरुषों के बैडमिंटन के लिए बड़े सपने देश सकेंगे।’

बहरहाल, भारत की जीत की शुरुआत दुनिया के नौ नम्बर के एकल खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने की। लक्ष्य ने एंथोनी सिनिसुका गिंटिंगमेंस के खिलाफ पहला गेम हारने के बाद शानदार वापसी की और 21-8, 17-21, 16-21 की जीत के साथ भारत को 1-0 से आगे कर दिया।

इसके बाद सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने मोहम्मद अहसन और केविन संजय सुकामुलजोमेंस के खिलाफ 21-18, 21-23, 19-21 की जीत के साथ भारत को 2-0 से आगे कर खिताब के बेहद करीब लाकर खड़ा कर दिया।

भारत के 2-0 से आगे होने के बाद खिताब अपने नाम करने के लिए अब सिर्फ एक मैच में जीत की दरकार थी और इसका दारोमदार गया विश्व के पूर्व नम्बर- खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत पर, जो दिग्गज जोनाथन क्रिस्टी के खिलाफ खड़े थे। अहम बात यह थी कि श्रीकांत ने इस मुकाबले से पहले एक भी मैच नहीं गंवाया था।

श्रीकांत ने इस इंडोनेशियाई दिग्गज के खिलाफ 21-15, 23-21 की जीत के साथ भारत को चैंपियन बना दिया। पहला गेम आसानी से अपने नाम करने के बाद हालांकि श्रीकांत दूसरे गेम में एक समय पीछे चल रहे थे लेकिन फिर उन्होंने 19-19 की बराबरी की और फिर गेम के साथ-साथ मैच भी अपने नाम कर लिया। भारत द्वारा लगातार तीन मैच जीते जाने के बाद बाकी बचे दो मुकाबलों की आवश्यकता नहीं पड़ी।

भारतीय टीम ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले में 5 बार की चैंपियन मलेशिया को 3-2 से हराकर अपने लिए कम से कम कांस्य पदक पक्का कर लिया था। वह भारत के लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि इससे पहले भारत ने इस इवेंट में कभी कोई पदक नहीं हासिल किया था।

भारतीय टीम यही नहीं रुकी और फिर सेमीफाइनल में इस टीम ने 2016 की चैंपियन डेनमार्क को 3-2 से हराकर फाइनल में स्थान पक्का कर अपने लिए एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल कर ली और अब उससे भी कहीं आगे जाकर चैम्पियन बन गया।

थॉमस कप के 73 साल के इतिहास में भारतीय टीम पहली बार चैंपियन बनी है। यह टूर्नामेंट 1949 से खेला जा रहा था, लेकिन अब तक इंडोनेशिया, डेनमार्क और मलेशिया जैसी टीमों का इस टूर्नामेंट में दबदबा रहा था, जिसे भारत ने खत्म किया है। भारत चौथी टीम है, जिसने यह टूर्नामेंट जीता है।

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